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माँ बगलामुखी दिव्य अनुष्ठान

Updated: May 30


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माँ बगलामुखी दिव्य अनुष्ठान एक अत्यंत प्रभावशाली और विशिष्ट तांत्रिक साधना है, जिसे विशेष रूप से शत्रु नाश, न्याय की प्राप्ति, दुष्ट शक्तियों को रोकने, और सर्वांगीण रक्षा के लिए किया जाता है। इस अनुष्ठान को "दिव्य" इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें विशेष तांत्रिक विधान, उच्च कोटि के ब्राह्मणों द्वारा सामूहिक मंत्र जाप, हवन, और सम्पूर्ण तांत्रिक प्रक्रिया शामिल होती है।

दिव्य अनुष्ठान एक विस्तृत और उच्च-स्तरीय साधना प्रक्रिया है जिसमें:

  • विशेष मंत्र जप 11,000,36000, 51,000

  • विशेष मंत्र जप(1.25 लाख बार या अधिक)

  • विशेष मंत्र जप(5 लाख बार या अधिक)


    MAA BANGLAMUKHI DIVYA AANUSHTHAN
    MAA BANGLAMUKHI DIVYA AANUSHTHAN

  • हवन (आहुति) – हजारों मंत्रों की पूर्णता पर

  • तर्पण, मार्जन, ब्राह्मण भोजन

  • विशेष सामग्री जैसे हल्दी, पीले पुष्प, पीली माला, पीले वस्त्र, घी आदि का प्रयोग होता है।

    🔱 माँ बगलामुखी दिव्य अनुष्ठान

    यह अनुष्ठान निम्न समस्याओं के समाधान के लिए विशेष रूप से किया जाता है:

समस्या/इच्छा

अनुष्ठान द्वारा लाभ

कोर्ट केस/कानूनी लड़ाई

विजय एवं न्याय प्राप्ति

दुश्मनों की चालें

शांति व स्तम्भन शक्ति

काला जादू या नजर दोष

त्वरित और पूर्ण रक्षा

व्यापार या नौकरी में बाधा

सफलता व स्थिरता

बदनामी या झूठे आरोप

शत्रुओं की वाणी को रोकना

मानसिक अशांति, भय

मन को स्थिर और शक्तिशाली बनाना

📅 अनुष्ठान के शुभ दिन

  • गुप्त नवरात्रि (सबसे शुभ समय)

  • अमावस्या,पूर्णिमा,चौदस,ग्यारस

  • मंगलवार / शनिवार

  • राहुकाल या निशा काल (गूढ़ शक्ति जागरण हेतु)

माँ बगलामुखी के प्रसिद्ध मंदिरों में:नलखेड़ा (म.प्र.)


योग्य तांत्रिक ब्राह्मणों द्वारा घर पर या ऑनलाइन माध्यम से

माँ बगलामुखी को "स्तम्भन शक्ति" कहा जाता है — अर्थात जो किसी की वाणी, बुद्धि और शक्ति को रोक दे। उनका रूप शक्ति, नियंत्रण और संरक्षण का प्रतीक है।

वे पीले रंग की देवी हैं और पीले वस्त्र, पीली माला व हल्दी से उन्हें प्रसन्न किया जाता है। वे आमतौर पर एक राक्षस की जीभ पकड़ते हुए दिखाई देती हैं, जिससे वह चुप और शक्तिहीन हो जाता है।


📜 प्रमुख मंत्र

1. बगलामुखी मूल मंत्र:

ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा॥

2. बीज मंत्र:

ॐ ह्लीं बगलामुख्यै नमः॥

 
 
 

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